ख्वाब सारे लहूलुहान मिले
ख्वाब सारे लहूलुहान मिले
रात धरती औ आसमान मिले।
सुब्ह कुछ दर्द के निशान मिले।।
जिसको सौंपे थे ख्वाब उस दर से
ख्वाब सारे लहूलुहान मिले।
मेरे पर तो कुतर दिए लेकिन
जा तुझे दूर तक उड़ान मिले।
कब तलक दिल ही दिल मे रोयेगा
काश इस दर्द को जुबान मिले।
