STORYMIRROR

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Classics Fantasy

3  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Classics Fantasy

ख्वाब सारे लहूलुहान मिले

ख्वाब सारे लहूलुहान मिले

1 min
323

रात धरती औ आसमान मिले।

सुब्ह कुछ दर्द के निशान मिले।।


जिसको सौंपे थे ख्वाब उस दर से

ख्वाब सारे लहूलुहान मिले।


मेरे पर तो कुतर दिए लेकिन

जा तुझे दूर तक उड़ान मिले।


कब तलक दिल ही दिल मे रोयेगा

काश इस दर्द को जुबान मिले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics