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Komal Kamble

Tragedy

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Komal Kamble

Tragedy

खुदगर्ज सनम

खुदगर्ज सनम

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कभी न लड़खड़ाने वाले यह कदम

आज लड़खड़ाने लगे हैं

हर रास्ते पर जिसने

हाथ पकड़कर चलना सिखाया

वहीं आज हमें अकेला छोड़ भागे हैं।


बहुत खाए थे कसमें और वादे

एक वादा न निभा सकें वो

हर जगह साथ देेेगें कहकर भी

एक जगह न टिक सके वो।


हर तरह के इंसानो से पाला पड़ा है

पर उनकी तरह खुुदगर्ज नहीं देखा

जो गम हिस्से में नहीं थे हमारे

उन्हें हमारे हिस्से कर दिया देकर हमें धोखा।


उन कसमों और वादों के तहत

उनका भी कुछ फर्ज था

हम तो अब अकेले हैं

हमारा अपना जो खुुदगर्ज था।


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