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Kumar Vikash

Drama

3.4  

Kumar Vikash

Drama

खोटा सिक्का

खोटा सिक्का

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सिक्के अब चलते नहीं जमाना नोटों का है फिर भी

कटोरे में आज सिक्के डालते हैं लोग !

और चन्द सिक्कों के बदले नोटों की दुआ माँगते हैं

लोग !!


बैठा मंदिर के द्वार पर जिसे लोग समझे हैं भिखारी !

दरअसल वही तो है खोटे सिक्कों का व्यापारी !!

लेकर सब बलायें तुम्हारी सिक्कों के रूप में !


बांटता वह अपनी दुआओं की दौलत सारी !!

और खुद रहता जिन्दगी भर भिखारी का भिखारी !

क्यों की वह तो ठहरा खोटे सिक्कों का व्यापारी !!


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