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बोधन राम निषाद राज

Romance

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बोधन राम निषाद राज

Romance

ख़ामोशी

ख़ामोशी

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रहता हूँ खामोश मैं, जब भी होत उदास।

मेरा मन लगता नहीं, यार नहीं तुम पास।।

कैसे कहूँ खामोश मन,सूझता नहीं मज़ाक।

ग़म के प्याले भी नहीं, पी लेता इतफ़ाक ।।

मायूस होती जिन्दगी,आ जाओ तुम साथ।

खामोशी अब ना रहे, दे हाथों में हाथ।।

आँखों में सपने वही, छायी है दिन-रात।

आओगी तुम कब तलक, कुछ तो कर लो बात।।

सूना - सूना ये जहाँ, लगता मुझको यार।

आ कोई भी दे दवा, दे दो अपना प्यार।।

खामोशी की जिन्दगी,अब ना मैं सह पाउँ।

गर मिल जाए साथियाँ, गीत ख़ुशी के गाउँ।।




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