शिकायते
शिकायते
ये शिकायतों के लहजे भी अजीब हैं ,,,
जिनसे होती हैं अक्सर वही दिल में रहते हैं ।
शिकायतें मुझे भी है बहुत उस शख्स से,,
फिर भी दिल में वहीं मेरे छिपा बैठा है।
कहते नहीं यू अब हम उनसे कुछ भी,,
फिर मुझमें वो मर्ज ए इश्क बनकर दबा बैठा है।
मै गुस्सा हूँ उससे, ढेरो शिकायते भी उससे मेरी ,,,
फिर भी मेरा दिल एक उसी से अब तक ठगा बैठा है।
एक वो है जो कभी कुछ कहता नहीं,,
और ये दिल मेरा उसी पर अड़ा बैठा है।
ना वो हां करता है ना वो ना करता है,,
कमबख्त फिर भी जैसे मुझ पर नशे सा चढ़ा बैठा है।
रूह तक बस एक वो सिर्फ वो ही सफ़र करता है,,,
मिलता नहीं मुझे फिर भी मुझमें ही मैं बनकर वो रहता है।
अधूरी नहीं उसके बिन यू तो मैं आज भी,,
पर पूरी तरह उसकी हो जाऊं यही ख्वाहिश दिल मेरा लिए बैठा है
ये ख्वाहिश है कि कभी पूरी होती नहीं और मेरा दिल दिमाग आज फिर उसका जिक्र किए बैठा है।
ये शिकयतों के लहजे भी अजीब हैं ,,
जिनसे होती है ना वहीं दिल में रहते हैं।