लिखा है मैने तेरे लिए...
लिखा है मैने तेरे लिए...
लिखा है मैने तेरे लिए,
अल्फाज़ मेरी तुम जान जाना....
हर लफ्ज़ से तेरा नाता है,
अंदाज़ मेरी तुम जान जाना...
बताना नही है अब कुछ तुझे,
इशारा ही अब काफी है...
मेरा ही वो पागलपन था,
ना तेरी कोई गुस्ताखी है...
करू अब जब भी मैं तुझे,
वो इशारा मेरी तुम पहचान जाना...
लिखा है मैने तेरे लिए,
अल्फाज़ मेरी तुम जान जाना...
याद कभी जब आए मेरी,
तो मुझको ना बताना तुम...
बस मेरे लिखे इन अल्फाजों को,
अपनी होठों से दोहराना तुम...
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em>कहूं जब इन्हें मैं काल्पनिक,
तो बात मेरी तुम मान जाना...
लिखा है मैने तेरे लिए,
अल्फाज़ मेरी तुम जान जाना...
महसूस किया जो कभी तेरे लिए,
वो अहसास तेरे करीब रहेंगे...
इन अल्फाजों के जरिए हम भी,
कुछ पलों के लिए तेरे हबीब रहेंगे...
तमन्ना से तकदीर तक का सफ़र,
होता नही इतना आसान जाना...
लिखा है मैने तेरे लिए,
अल्फाज़ मेरी तुम जान जाना...
हर लफ्ज़ से तेरा नाता है,
अंदाज़ मेरी तुम जान जाना...
लिखा है मैने तेरे लिए,
अल्फाज़ मेरी तुम जान जाना.