बयां
बयां
जो शब्दों में अगर मैं बयां कर पाऊं चाहत कभी
हर यादें वो तुमसे जुड़ी,
हर वो बात उन यादों से जुड़ी
उन यादों से, तेरी बातों से
जुड़ा हुआ हूँ मैं अब भी
जो लिख पाऊं मैं उन जज्बातों को,
शब्द बनकर दिल की कलम में अब इतनी ताकत नहीं I
कोशिश जारी है मेरी, वो मकसद समझने की
जो ज़िंदगी सिखलाना चाहती थी मुझे,
शिकायत तुमसे नहीं, तुम तो एक जरिया बनी
जाने क्या सिखला कर गई हो तुम,
तुमसे नहीं, गर ज़िंदगी मिले तो पूछूँ कभी
ग़मों के ढेर में एक नाम तुम्हारा भी जुड़ा है बस
ऐ ज़िंदगी क्या बस इतनी ही थी चाहत तेरी I
नाउम्मीदी भरी ही सही, दिल में है मगर एक चाहत अभी भी
जो थोड़ी हो आहट तेरे आने की कोई,
नासमझी है मेरी, मगर देती है मुझे ये राहत थोड़ी
सबक का जरिया बना कर भेजा था जिसे ज़िंदगी ने
जो लौट आये मुझमे मेरा हिस्सा बन कर कभी,
देखे वो यादों का कमरा, जो अब तक सजा कर रखा है मैंने
उसकी यादों से जुड़ी, हर बाद उन यादों से जुड़ी
जो शब्दों में अगर मैं बयां कर पाऊं चाहत कभी I