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Star Helping Gamer Champions

Abstract

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मायुस

मायुस

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बड़ी मायुस सी रहती है मेरी ज़िंदगी आजकल मुझसे

कहती है परेशान हो चुकी हूँ तुझे सवांरते - सवांरते

तेरी खामियों को नजरअंदाज करते करते

नादान है मुझसे शिकायत कर लेती है,


क्या बताऊँ उसे के कुछ उलझा सा हूँ मैं भी

उसकी परेशानियों को सुलझाते - सुलझाते,

अधूरा सा रह गया हूँ मैं भी,

उसकी ख्याइशों को पूरा करते करतेI


चाहती है वो के मैं चलूँ उसके बनाये रास्ते पर

वो रास्ते जो उसे उस तक ले जाती है,

जो थोड़ा समझ पाए वो कि, रास्ते ये उसके बनाये

मुझे खुद से दूर ले जाती हैI


मर्जी नहीं मेरी, तौर-तरीके मैं उसके निभा रहा हूँ

तुमसे मिलते- मिलते ऐ ज़िंदगी, एक अरसा बीत चुका

खुद से खुद का हाल भी नहीं पूछ पाया हूँ I

अरमान ये तुम्हारे, बोझ उसका मैं ढो रहा हूँ

निराश हो तुम फिर भी, पूछते हो मुझे

मैं तेरे लिए कर ही क्या पाया हूँI


काश के तुम समझ पाओ कभी,

मैं हताश हूँ तुमसे, तुम निराश हो मुझसे

परेशान हम दोनों है एक दूसरे से,

थोड़ा समझ है नादान,

के शिकायत करने का हक़ पूरा तुझे ही दे रखा है


हाँ कसूर है मेरा के मैं तेरे मापदंडों पर,

खड़ा नहीं उतर पाता हूँ

पर क्या ऐ ज़िंदगी तुझे तोड़ी भी परवाह है,

कि मैं तुझे से क्या चाहता हूँ I


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