सतरंगी सपने
सतरंगी सपने
तन्हाई से भरा सफर अब हमसे कटता नहीं है।
अपनो से मिला ज़ख्म कभी भी भरता नहीं है।।
सतरंगी सपनो को सँजोता रहा हूँ मैं हर लम्हा
वो ख़्वाब कभी भी हक़ीक़त में बदलता नहीं है।
यादो में अश्क़ बहा कर हाल-ए-बुरा हुआ है।
जो हाल-ए-दिल समझता हैं, वो मिलता नहीं है।।
एक अरसा बीत गया, पर दीदार हुआ ही नहींं
अब तो तस्वीर से बातें कर के दिल भरता नहीं है।
दिन जैसे-तैसे कट ही जाती है यादों के सहारे
पर सतरंगी सपनो से भरी ये राते कटता नहीं है।
किस किस से शिक़वा और गिला करे अब हम
यहाँ कोई भी किसी की फिलिंग समझता नहीं है।
दिल में छुपे ज़ज्बात अब ज़ुबा पर आने लगी है।
क्यू की दिल का ज़ख्म छुपाने से छुपता नहीं है।

