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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

आरज़ू

आरज़ू

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आरजू सारी अधूरी की अधूरी रह गई।

रात भर थे साथ लेकिन बात सारी रह गई ।

मैंने सोचा था बता दूंगा मैं दिल की कैफियत।

सामने उसके न कुछ भी होशियारी रह गई।

किसको कितना खेलना है रब को यह मालूम है।

सबको लगता है जवानी की यह पारी रह गई ।

जो सुकूं है, चैन है,राहत है, जो आराम है।

दिल जिगर सब दे दिया फिर भी उधारी रह गई ।

दिल के मंदिर की वह देवी रहती है दिल में मेरे।

कुफ्र और ईमान की यह जंग जारी रह गई।

यह जुनून ए इश्क ले आया मुझे इस मोड़ पर।

अब ना वो अपनी रही न वह हमारी रह गई।

दर्द को दिल में छुपा कर हंस रहे हैं हम सगी़र।

अब ख़ुशी में और ग़म में जंग जारी रह गई।



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