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Neetu Lahoty

Romance Tragedy

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Neetu Lahoty

Romance Tragedy

खामोश निग़ाहें

खामोश निग़ाहें

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वो "खामोश निग़ाहें अक्सर,

सवाल करती है मुझसे !

जब साथ छोड़ना ही था तो

हाथ थामा क्यों था ?


जब निभा नहीं सकते थे,

तो वादा किया क्यों था ?

जानती हो तुम कोई मज़बूरी नहीं थी मेरी..

बस अपने सपनों की उड़ान के लिए,

दिल तोड़ दिया तुम्हारा..


अब न कोई जवाब है न सवाल...

न कोई ख्वाहिश, न कोई मंजिल..

आज भी याद आती है तुम्हारी वो

फिकी सी मुस्कान और

खामोश निग़ाहों से उठते सवाल !


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