STORYMIRROR

Shikha Pari

Tragedy

4  

Shikha Pari

Tragedy

केवल साँवली लड़कियाँ

केवल साँवली लड़कियाँ

1 min
321

रात के अंधेरे में नहीं जन्मी

उसका अस्तित्व भी वैसा ही है

जैसा आम लड़कियों का होता है।


रिश्ते की बात जब आती है

साँवली हो बोलके पीछे कर दिया गया उसे,

ठुकरा दिया गया बिना किसी कसूर के।


रंग देखके उसे नसीहत दी गई

उबटन, मुल्तानी मिट्टी,

मलाई की मालिश से

लबरेज़ किया गया उसे,


वो फिर भी नहीं निखरी,

उसने अपनी चमड़ी ही

उधेड़नी चाही एक दिन,


खून से लथपथ हो गई,

मुझे उसके बहे खून का बदला

चाहिए इस समाज से।


उसकी पीठ पे लोगों ने

तानों के कोड़े बरसाए

काली,साँवली, बदसूरत

इन शब्दों से उसकी

पीठ को रंगा गया।


वो फंदे पे लटकाई गई,

कठघरे में खड़ी की गई

फ़ैसला समाज सुनाता हर बार।


हल्के रंग के कपड़े

पहनने के लिए सबने कहा

वो फिर भी उस

कसौटी पे खरी नहीं उतरी।


वो चेहरा छीलने लगी

नोचने लगी खुद के

गाल पर उसने थप्पड़ रसीद दिए

उसे काली, साँवली होने की

किरकिरी होने लगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy