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Sujit kumar

Romance

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Sujit kumar

Romance

कौन सा रंग ….

कौन सा रंग ….

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किस रंग में तुझे ढूँढू ,

कौन सा रंग लगाऊँ !

जिस रंग सखा तुम खोये ;

उस रंग को कैसे मिटाऊँ !

तू जो फिर लौटे तो ;

हर रंग में मैं रँग ही जाऊं !

तुझ बिन कहीं चैन नहीं था ;

तुम बिन बेरंग पल ही बिताऊँ !

मौन रंग में कभी मैं चाहूँ ;

फिर शब्दों के रंग सजाऊँ !

विगत स्मृति के चिन्हों से ;

यादों के रंग भर के लाऊँ !

मैंने तो हर रंग उकेरे ;

तुम बस श्वेत श्याम ले आये !

कुछ और रंग तुम भी लाते ;

थे आस जो मेरे मन में समायें !

मेरे नजरों ने थे हर रंग समेटे ;

अब क्यों सब बेरंग नजर से आये !

सुर्ख़ रंग हो वहाँ भी हरदम ;

यहाँ भी रंग रंग मैं तर हो जाऊँ !

सुबह संग कभी शाम रंग ;

मैं तो जीवन के चित्र बनाऊँ !



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