समानांतर पथ के यात्री ...
समानांतर पथ के यात्री ...
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दो समानांतर रेखाओं पर
किसी सफर पर कुछ यात्री ...
ये रेखाएं न मिलेगी, न रुकेगी,
न ही काट के निकल पड़ेंगी,
अपने गंतव्य की ओर ।
समय के किसी खंड में
इन समानांतर पथ पर
अवश्य किसी संयोग से
अनायास से सामने नजर आते
कुछ अस्पष्ट सी तस्वीरें और आवाजें लिए,
मिलने का एक आभासी भ्रम पैदा करते हुए,
संवादों की एक रूपरेखा रचते हुए,
इस पथ पर कब किसी वक्त में..
समय और गति की अनिश्चितता से ओझल हो जायेंगे ये यात्री ।
