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कुछ पुराने सामान ...

कुछ पुराने सामान ...

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एक दिन मेरे दिये हुये
सब सामान पुराने हो जायेंगे,
टूट जायेंगे या अब नहीं रह जायेंगे,
वैसे की तुम साथ लेकर चलो इसे।

किताबो की जिल्द उघड़ी होगी,
या काटा होगा चूहों ने कभी,
या हमारे रिश्तों की तरह,
वक़्त की दीमक ने खाया होगा इसे ।

वो तारीख बताता कैलेंडर,
जिसमें एक तरफ लगी होती फ़ोटो तुम्हारी,
क्या करते होगे उसका तुम बरस बीत जाने पर,
शायद फेंक देते होगे तुम,
हाँ कई सालों का इकट्ठा हुआ होगा,
मुझे तो आह निकलती,
मुझसे न फेंका जाता कभी ।

वो पुराना मोबाइल,
हाथ से छुट कर कई दफा गिरा होगा,
अब तो नहीं रखते होगे तुम साथ इसे,
बाजार में रोज दफा नया ही नया आता है,
उस समय भी वो नया सा था अपने हिसाब से ।

देखो न एक उम्र बीती है,
मैं भूल भी रहा कई चीजें,
बरसों हुए वो टेडी बियर तो मर गया होगा शायद,
पा गया होगा मुक्ति सब रिश्तों से,
मैं भी उसी तरह खड़ा हूँ,
सब पुराने सामानों की तरह,
दे दो मुक्ति सब बंधनों से,
की तेरे नाम सुनकर कोई स्मृतियाँ न आये,
तेरे चेहरे जैसी कोइ आकृति,
आँख बंद करने पर न बने,
पुराने हर सामान को जिस तरह तुमने छोड़ा,
वैसे ही दे दो मुक्ति हर रिश्तों से मुझे ।

- सुजीत 


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