The Life Writer & Insane Poet
दो समानांतर रेखाओं पर किसी सफर पर कुछ यात्री। दो समानांतर रेखाओं पर किसी सफर पर कुछ यात्री।
डूब कर पढ़ना फिर नज्मों को मेरे, पूछना किसके लिए लिखा ? डूब कर पढ़ना फिर नज्मों को मेरे, पूछना किसके लिए लिखा ?
कभी उदासी में करना घंटों बातें, और फिर भर देना अपनी आदत, जेहन में। कभी उदासी में करना घंटों बातें, और फिर भर देना अपनी आदत, जेहन में।
ऐसे कभी देखा नहीं तुम्हें संगीन होते, हाँ कभी कभार पूछते हो प्रेम क्या है ? ऐसे कभी देखा नहीं तुम्हें संगीन होते, हाँ कभी कभार पूछते हो प्रेम क्या है ?
सुबह सुबह खिड़की के पर्दो से झाँकती है धूप, तुम्हारी शक्ल लेकर! सुबह सुबह खिड़की के पर्दो से झाँकती है धूप, तुम्हारी शक्ल लेकर!
जितना मैं तुझे खुदा कहता, तू उतना ही रूठ जाता जितना मैं तुझे खुदा कहता, तू उतना ही रूठ जाता
कुछ सादा फीका फाल्गुन था, तुम आते तो रंग चढ़ता थोड़ा! कुछ सादा फीका फाल्गुन था, तुम आते तो रंग चढ़ता थोड़ा!
मैंने तो हर रंग उकेरे ; तुम बस श्वेत श्याम ले आये ! मैंने तो हर रंग उकेरे ; तुम बस श्वेत श्याम ले आये !
चले गए थे, ख्वाब के तरह, वो ख्वाब जो टूटता है रोज, संवर जाता रोज अपने टुकड़े सहेज के, चले गए थे, ख्वाब के तरह, वो ख्वाब जो टूटता है रोज, संवर जाता रोज अपने टुकड़...
ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी चीजों में अपने अतीत के... ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी ची...