कैसे समझाऊँ...
कैसे समझाऊँ...
अब हम कहाँ आ गए पता नहीं
वक़्त के साथ बस चलते रहे,
कुछ छोड़ आए, कुछ भूल गए
कैसे समझाऊँ बीते हुए सारे लम्हे?
वो जो सब मेरे अपने थे
न जाने क्यूं रिश्ते तोड़ दिए,
हमें छोड़ के सब चले गए
कैसे समझाऊँ? मेरा क्या हालात हुए?
शायद मुझ से कुछ नाराज थे
या हम उन्हें समझा नहीं पाए,
कुछ सोचने का वक़्त नहीं था
कैसे समझाऊँ वो वक़्त बीत गया?
न उनका कोई कसूर न मेरा
न वक़्त का भी कोई कसूर,
जिन्दगी का ये है तो सफर
कैसे समझाऊँ? ये कैसा है दस्तूर?
चलते चलते कभी पता न चला
अब यहाँ कैसे हम पहुँच गए,
जो कुछ हम भूल गए थे
कैसे समझाऊँ? अब कुछ याद आए।
अब तो बस कुछ पल बाकी
दुनिया को अलविदा कहना जो है,
जब हम नहीं होंगे यहाँ, तब
कैसे समझाऊँ? मेरा वजूद क्या है?
अब लगता है थक चूका हूँ
रिश्ते नाते कुछ काम नहीं आये,
चार दिन की ये जिन्दगी है
कैसे समझाऊँ? अगर समझना नहीं चाहे।
अब सोचो और कुछ तुम करो
गुमान छोड़ो, बदलो अपना भी नजरिया,
बदलेगी दुनिया, अपने भी साथ होंगे
कैसे समझाऊँ? ठीक कर लो ये कार्रवाँ ।