कैसे कहूँ
कैसे कहूँ
प्यारी, कैसे कहूँ
प्यार के साथ
प्यार की दो -चार बातें
इस अकाल की
मुश्किल घड़ी में,
गले तक
निराशा से डूबा वक्त में
बोल नहीं पाऊँगा
आशा की दो बातें
और आँखों का इशारा
मुस्कान हँसी से
तुम्हें हँसा नहीं पाऊँगा
तुम्हारे मन को
जीत नहीं पाऊँगा
क्योंकि
तुम मेरे चेहरे पर
देख पाओगे
मुश्कान हँसी और
आँखों के इशारों
के पीछे
निराशा की छाया।
