कैसे कहूँ दिल तन्हा तन्हा
कैसे कहूँ दिल तन्हा तन्हा
क्या लिखू , क्या भूलू यादो की बारात आंगन में
झिलमिल सितारे लगे ना प्यारेकैसे कंहू दिल तन्हा तन्हा
क्या लिखूँ, क्या भूलूँ आखिर चलूँ तो किसके दम पर
चली गई यूँ ही तुम मुड़के न देखा दोबारा कैसे कंहू दिल तन्हा तन्हा
जी तो रहा हूँ तेरी यादो की सहारे भुगत रहां हूँ किसकी गुनाह की सजा ?
सवाल तो बहुत हैं लेकिन जवाब नहीं कैसे कंहू दिल तन्हा तन्हा
क्या लिखूँ, क्या भूलूँ निकला तो हूँ मंजिल की तलाश में
नहीं पता कब और कैसे ? पाना हैं कैसे कंहू दिल तन्हा तन्हा
पगले दिल को कैसे समझाऊँ ? जानेवाले लौटके नहीं आते
कभी भटक रहा हूँ गांव- गांव शहर - शहरकैसे कहूँ दिल तन्हा तन्हा
क्या लिखूँ, क्या भूलूँ बात पते की बोल मदारी खेल,
तमाशा दुनिया सारी कैसे कहूँ दिल तन्हा तन्हा।