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AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

4  

AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

काश तुम साथ होते

काश तुम साथ होते

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काश तुम साथ होते, मेरे आस पास होते

मैं तुमको गले लगा लेता, अपना दर्द सुना देता


अपनी रचनाएँ तुम्हें सुनाता, गीतों में तुमको गुनगुनाता 

मेरे छंदों को सुनकर तुम मुझ जैसा उल्लास करते 

मेरे बोलों में खोकर तुम, संसार शून्य सा हो जाते 

मंद हंसीं के साथ तभी, तुम आलिंगन मेरा कर लेते 


अपने घर के दीवारों पर, खिड़की पर दरवाजों पर 

मैं बस तुमको लिखता रहता, और तुम मुझको तकते रहते 

तेरे नाम के बीच कहीं, मैं अपना नाम छूपा देता 

तुम अपने नाम में डूब के फिर मुझको ढूंढा करते 


हम मिलकर दिये जलाते फिर, सपनों के सेज सजाते फिर 

अपने घर के बागीचे में तुम और मैं फिर साथ फिरते 

और हांथ को थामे मेरा, तुम संग कदम दो चार चलते 

धर कर मेरे कांधे पर सर, तुम सुख स्वप्न में खो जाते 


थोड़ा हँसते थोड़ा रोते, ठंडी गरम साँसे भरते 

मैं तुमको कभी रुला लेता, तुम मुझको कभी हंसा देते 

तुम रोटी कभी पका लेती, मैं सब्जी कभी बना लेता 

मैं निवाला खिला देता तुमको तुम पानी मुझसे पी लेते 


माना अपनी मजबूरी है, अभी हम दोनों में दूरी है 

कभी मैं सपनों में छु लेता तुमको, और तुम मुझमे समा जाते 

काश तुम साथ होते मेरे आस पास होते 

मैं तुमको गले लगा लेता, अपना दर्द सुना देता।


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