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Mahendra Kumar Pradhan

Tragedy

4  

Mahendra Kumar Pradhan

Tragedy

जोकर

जोकर

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कभी आंसुओं से गीला 

कभी खुशियों का मेला 

जिंदगी के अंत तक

है यही सिलसिला ।

जीवन के सर्कस में

जो हरदम हंसता रहता है 

वह जोकर है जो दूसरों को 

हरदम हंसाता रहता है ।

जब सारे लोग अपने चेहरे को 

सुंदर से सजाते रहते हैं ।

एक जोकर है अपने चेहरे का

मजाक बना लेता है ।

बड़ी अजीब पहेली है 

एक जोकर की जिंदगानी ।

हमेशा हंसने हंसाने का वादा

आंसू पीकर भी निभाता है ।

क्या जोकर का कोई दिल नहीं 

या उस दिल में प्रेम खिलता नहीं है ?

मैंने तो आजतक न सुना न पढ़ा 

कोई जोकर से प्रेम करता है ।

दर्द सीने में छुपाए 

जिंदगी के कड़वाहट की 

हर दिन सर्कस के शो में

जरूर हंसता हंसाता है ।

पीके अश्रु अपने ही होठों पर 

खाकर कितने ठोकर 

दिल के अरमानों को अपना

दबा देता है जोकर ।

आज सोचता हूं कि

कितना भाग्यवान होता मैं अगर ,

सर्कस के जोकर जैसा हंस पता रोज

बहाना बना बनाकर ।



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