जोकर
जोकर
कभी आंसुओं से गीला
कभी खुशियों का मेला
जिंदगी के अंत तक
है यही सिलसिला ।
जीवन के सर्कस में
जो हरदम हंसता रहता है
वह जोकर है जो दूसरों को
हरदम हंसाता रहता है ।
जब सारे लोग अपने चेहरे को
सुंदर से सजाते रहते हैं ।
एक जोकर है अपने चेहरे का
मजाक बना लेता है ।
बड़ी अजीब पहेली है
एक जोकर की जिंदगानी ।
हमेशा हंसने हंसाने का वादा
आंसू पीकर भी निभाता है ।
क्या जोकर का कोई दिल नहीं
या उस दिल में प्रेम खिलता नहीं है ?
मैंने तो आजतक न सुना न पढ़ा
कोई जोकर से प्रेम करता है ।
दर्द सीने में छुपाए
जिंदगी के कड़वाहट की
हर दिन सर्कस के शो में
जरूर हंसता हंसाता है ।
पीके अश्रु अपने ही होठों पर
खाकर कितने ठोकर
दिल के अरमानों को अपना
दबा देता है जोकर ।
आज सोचता हूं कि
कितना भाग्यवान होता मैं अगर ,
सर्कस के जोकर जैसा हंस पता रोज
बहाना बना बनाकर ।