स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
भूस्वर्ग से कन्याकुमारी
कच्छ से बंगाल की खाड़ी
अपनी दिव्य काया विस्तारी
जग में प्यारी भू हमारी
तरुमाल गिरिवन शोभित
नदीनाल बन तन लोहित
जहां नित मातृ देह सींचे
वह स्वतंत्र भारत कैसा हो ?
स्वर्ग से सुंदर दिव्य अनुपम
बैकुंठ धाम जैसा हो ।
तुंग हिमालय मान- सरोवर
जिसकी मस्तक श्री सजाए
गंगा यमुना की अमृत पय
उरू में संजीवनी भर जाए ।
बाएं सागर दाएं सागर
पग पग सींची अमृत बिंदु
पद धौत करि हिन्द सिंधु
जिसे नित कलकल हसाए
वह स्वतंत्र भारत कैसा हो ?
स्वर्ग से सुंदर दिव्य अनुपम
बैकुंठ धाम जैसा हो ।
देशप्रेमियों की बलिदानी की
आजाद भगत की कुर्बानी की
प्रताप शिवाजी के स्वाभिमान का
निष्ठा, भक्ति, प्रेम राष्ट्र के नाम का
त्याग शौर्य प्रत्येक वीर जवान का
हर बच्चों के कानों में कथाएं
प्रतिदिन सुनाया जाए
हृदय में देशप्रेम जगा कर
उन्हीं बच्चों से पूछा जाए कि
स्वतंत्र भारत कैसा हो ?
वीरों की भूमि वीरों से भरा
वीर धाम जैसा हो ।
यह भूमि हमारी जननी है
हमारे रक्त में इसकी नीर रवानी है
इसकी सीमा कोई चिन्हित रेखा नहीं
कि कोई नक्शा बदल हड़प जाए
मां के अतिरिक्त दूजा कोई रूप देखा नहीं
इसके लिए हरदम हृदय तड़प जाए ।
इसके सपूत वीर सावरकर
लाल बाल पाल के जैसे हों ।
सुभाष, अभिनंदन सा अदम्य जांबाज
परम राष्ट्र भक्त जैसे हों ।
स्वतंत्र भारत कैसा हो ?
शूरवीर जिसके हौसलों से भरें उड़ान
विश्वास आसमान के जैसा हो ।
बुद्ध, महावीर के नीतियों में
सत्य अहिंसा का जयघोष है ।
गांधी ,टैगोर ,रामकृष्ण ,दयानंद
नानक ,कबीर,अरविंद विवेकानंद
के वचनों में, मानवता का उद्घोष है ।
कैशोर के बगीया में मानवता के
बीजों का अंकुरोद्गम हो ,
विश्वगुरु,विश्वनायकों का यहीं से उद्गम हो ।
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
अरोविहार शांतिनिकेतन,
आनंद मठ ,वेलोर मठ ,
सावरमतीआश्रम जैसा हो । ५
दुर्गावती ,झांसी की रानी
दिखा दु:साहस वीरता मर्दानी
दुश्मनों में खौफ भर गए
मर्दानगी को दे पटखानी ।
इंदिरा गांधी, किरण वेदी
बछ
ेंद्री ,अरुणिमा,सानिया , दुती
पर ,नाज कर रही भारत भूमि
दिखा कर दर्पण कहती है
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
नारी पुरुष समता पटल पर
विश्व के नेतृत्व में
तत्पर जागृत हमेशा हो ।
सीता अगर पुनः अपहृता हो
या कोई पांचाली वस्त्र हरता हो
तो रावण दुशासन का वध तुरंत हो
नारीलोभी कामुकों का अंत हो ।
न कोई और निर्भया हो
न उतनी लंबी न्यायिक प्रक्रिया हो ।
हैदराबाद एनकाउंटर जैसी ही
प्रत्येक न्यायिक प्रक्रिया हो
कन्या भ्रूण हत्या ,दहेज प्रथा ,
तीन तलाक का उन्मूलन हो ।
नारी नारायणी, बच्चियां नवदुर्गा सम फिर
पूजा आराधना पर पुनर्वलन हो।
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
परनारी पर माता भग्नी सम यहां
पुनीत व्यवहार हमेशा हो ।
अभिमन्यु ने बालपन में अद्भुत शौर्य दिखाया
प्रतिज्ञा को पालने का ज्ञान भीष्म ने सिखाया
श्रीराम ने मर्यादा ,सीता ने पतिव्रत सिखलाया
भरत लक्ष्मण ने भ्रातृप्रेम का उत्कर्ष रूप दिखाया ।
प्रत्येक पुत्र श्रवण हो
हर पहलवान में भीम हो, हर मित्र में कर्ण
हर शिष्य में अर्जुन हो ,चाहे जो भी हो वर्ण
हर योद्धा में भीष्म द्रोण कर्ण अर्जुन बसे
ऐसे पराक्रमी हमारे वतन के रखवाले हों ।
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
रामायण महाभारत के पन्नों में स्थित
आदर्श अयोध्या हस्तिनापुर जैसा हो ।
संविधान प्राण है शासन का
समाज व्यवस्था का आधार है ।
जनजीवन को सुख शांति दे जो
उसी करुणा का इसमें रसधार है ।
विचारपति निष्पक्ष हृदयवान हों
संत ऋषि सम उदार विवेकवान हों
आईनजीवी घुसखोर न हो
आरक्षी वेश में चोर न हो ।
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
प्रजा सुख शांति समृद्धि के लिए
न्याय विचार जहां
रामराज के जैसा हो ।
खेलकूद, राजनीति हो या अर्थनीति
सामाजिक रीत हो या धर्म संस्कृति
प्रति क्षेत्र में देश की चरम प्रगति हो
भ्रष्टाचार दुर्नीति से पूर्ण मुक्ति हो ।
देश की एकता अखंडता बंट न जाए
हिन्दू - मुस्लिम ,मस्जिद - शिवालों में
शंख - गाय और धर्म संप्रदाय विभेद
उठे न कभी लोगों के निजी खयालों में ।
स्वतन्त्र भारत कैसा हो ?
धर्म निरपेक्ष उन्नत वतन
विश्वप्रेम का जिसमे मधु मय संदेशा हो ।