सिगरेट
सिगरेट
कोई शौक से पीता है, तो कोई अमीरी दिखाने को ,
पर जब चढ़ जाता है नशा , छोड़ना नामुमकिन है ।
कमबख्त ये सिगरेट ! जानलेवा है धीर जहर जैसा
पर इसके भक्तों को इस बात का कहां यकीन है ?
ये धूम्रपान का लत कातिलाना, जो लग गया एकबार
श्वास तंत्र को क्षीण और फेफ़डे को अकर्मण्य कर देता है ।
इस धीर जहर का चस्का जिसको लगा उसके तनमन,
और बदन को बीमार और अस्वास्थ्य घेर लेता है ।
सुडौल ,गठीला बदन हो या भीमकाय स्वरूप हो
सिगरेट की धूम्र से वो सब कंकाल बन गया ।
हड्डियों का अवशेष रह गया ,बाकी सब चर गया
शौक कब नशा बनकर जीवन का काल बन गया ।
देखो और सीखो बंधु , दूर से नमस्कार करो
धूम्रपान से बचो अन्यथा जीवन दुष्कर हो जाएगा ।
संभालो खुद को, अपने ही पैरों पर चोट न मारो
मूर्खता छोड़ो अन्यथा जीवन कष्टकर हो जाएगा ।