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Dr Rajmati Pokharna surana

Tragedy

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Dr Rajmati Pokharna surana

Tragedy

जमाने ने आजमाया

जमाने ने आजमाया

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जमाने ने अजमाया मुझे बहुत,

जिसने जब चाहा, जैसे चाहा,

मेरी भावनाओं के साथ खेला,

बस मेरा एक ही तो कसूर था,

मैंने इस धरा पर नारी रूप धरा,

कभी जमाने ने मुझे पलकों पर बिठाया,

कभी जमाने ने मुझे फूलों की सेज पर सजाया,

कभी मोहब्बत की नैय्या में डुबाया,

मेरे रूह को ईश्वर का घर बनाया,

मेरे अल्फाजों से मेरे जज्बात को दोस्त बनाया,


विरोधाभास तो देखिये मेरी खामोशियों का,

विरोधाभास देखिये मेरी किस्मत का,

जो कभी हमारी कजरारी आँखों के दीवाने थे,

जो कभी हमारी आदत बनने के लिये तरसते थे,

उड़ान लम्बी थी उनकी चाहत की,

मेरे रूह को अश्क में डूबा

नई चाहत की तलाश में निकल पड़े,

कसूर था तो क्या यही कि

मैंने नारी रूप धरा इस धरा पर।।


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