ज़माना है हमारा
ज़माना है हमारा
ज़िंदादिली से मिल गया अब तो सहारा,
मुस्कुरादो ना ज़माना है तुम्हारा।
खामोशियों की भी “सदा सुनते रहे हम,
जज़्बात में बह गये पाकर इशारा।
अफ़सोस यूँ तोहमत लगा बैठे अभी तो,
हारकर ही जीत पाया दिल तुम्हारा।
जन्नत की चाह मायने न कोई रखती,
साथ तुम हो बाँहों में आकाश सारा।
सेज अरमानों की यूँ सजायी मैंने,
मुट्ठी में भर लाये आज चाँद तारा।
क्या कहूँ मुद्दत से पेश चलती थी ना,
ख़्वाब पूरे हो गये पाया किनारा।
रूह मेरी है अमानत बस तुम्हारी,
जी उठे हम तो ज़माना है हमारा।