दिल चाहता है
दिल चाहता है
रवि की अरुणिमा किरणों की आभा,
पलकों में बंद कर लूँ,
जो तुम्हारे सम्पूर्ण वजूद को,
आभामंडित कर दे
दिल चाहता है
चमन के पुष्पों की ख़ुश्बू को,
अंतस् में क़ैद कर लूँ,
वो ख़ुश्बू तुम्हारे दामन को,
सुवासित कर दे
दिल चाहता है
तुम्हारे पथ के काँटों को चुनकर,
कदमों से दूर कर दूँ,
ताकि चलते हुए तुम्हारे पाँव को,
घायल न कर दे
दिल चाहता है
नदी की धारा का रूख
उस दिशा में मोड़ दूँ,
तुम्हारी जीवन नौका अविरल उधर ,
बढ़ती चली जाये
दिल चाहता है
ताजिंदगी हर दिन हर पल तुम्हें पास,
बैठाकर निहारता ही रहूँ,
ये सुखद अहसास,
वक्त से कहो,
अभी ठहर जाये
दिल चाहता है।