अटूट बंधन
अटूट बंधन
हे पार्थ,उर का अवलम्बन,
एक धुरी पे घूमे किंचित्,
पत्थर काट धरा निर्मित,
अथक प्रयास गूढ़ अवलोकन,
हे पार्थ, उर का अवलम्बन
प्रगतिपथ पे अग्रभाव संग,
इस वजूद की यात्रा उज्ज्वल,
परिपक्वता का प्रहार कर,
सौंदर्य रूप अनोखा निर्मल
हो प्रगाढ़ अटूट निज बन्धन
बहती धारा का रूख मोड़ूँ,
गहरे जल के तल में झाँकूँ,
अक्षयनिधि की आकांक्षारत,
जीवन के कण-कण को आँकूँ
शिथिल पड़े लहरों का क्रन्दन।