STORYMIRROR

बबिता प्रजापति

Tragedy

4.0  

बबिता प्रजापति

Tragedy

जल बचाइए

जल बचाइए

1 min
342


एक नल झर झर झरता था

प्यासे को तृप्त नल करता था।

माएँ आती सुबह शाम 

माँ की गगरी नल भरता था।

बालक आते दौड़ लगाते

प्यास अपनी जल से बुझाते

खेल खेल में भीगते जाते

रिक्त कभी भी न जल करता था।

एक नल.......

नल का जल अब कम आता था

सबको अब नल कहाँ सुहाता 

पर सूनेपन से नल डरता था

एक नल झर.......

पेड़ों की हुई खूब कटाई

बर्षा फिर न धरती पे आई

जल का संकट फिर गहराया

नीर नल में फिर न आया

कथा अपनी अमर करता था

एक नल झर झर झरता था।।।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy