Women स्त्री
Women स्त्री
मुस्कराती हो तो
बसंत संवार देती हो,
कितने ही रंग तुम
जीवन में उतार देती हो।
शर्म हया गहना है तुम्हारा
शर्माती हो तो
हया के रंग उभार देती हो।
ममता स्नेह प्रेम की जननी हो
मगर....
सम्मान के खातिर
शक्ति का अवतार लेती हो।
शिवाजी का शौर्य तुमसे ही तो है
नन्हे बीज को
तुम्ही आकार देती हो।