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बबिता प्रजापति

Abstract

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बबिता प्रजापति

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Women स्त्री

Women स्त्री

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मुस्कराती हो तो

बसंत संवार देती हो,

कितने ही रंग तुम

जीवन में उतार देती हो।

शर्म हया गहना है तुम्हारा

शर्माती हो तो

हया के रंग उभार देती हो।

ममता स्नेह प्रेम की जननी हो

मगर....

सम्मान के खातिर

शक्ति का अवतार लेती हो।

शिवाजी का शौर्य तुमसे ही तो है

नन्हे बीज को

तुम्ही आकार देती हो।



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