STORYMIRROR

बबिता प्रजापति

Others

4  

बबिता प्रजापति

Others

कुछ कच्चे मकान रहने दो

कुछ कच्चे मकान रहने दो

1 min
270

बंगले बहुत हो चुके शहर में

कुछ कच्चे मकान रहने दो

बाबू जी बैठ के बतिया सकें

नुक्कड़ की वो चाय की दुकान रहने दो

इत्मीनान से बैठकर

हाल ए दिल सुना सकें

घर के बाहर थोड़ी

पहचान रहने दो।

दिल भर गया इस आधुनिकता से

घर में कुछ पुराना भी,

सामान रहने दो।

हर जगह बस इमारतें बना रखी हैं

थोड़ी खाली जमीन पर

खेत खलिहान रहने दो।।

दिलों में थोड़ी तो जगह हो

सबसे प्रेम भरी राम राम रहने दो।



Rate this content
Log in