बसंत( लो आ गया मधुमास)
बसंत( लो आ गया मधुमास)
1 min
270
महक उठे मोगरा चमेली
खिल उठे ढाक पलाश,
पीली सरसों फूल उठी
लो आ गया मधुमास।
लद गया आम्र,बौर झूमे
स्वच्छ हुआ आकाश,
तरु पुनः हरित हुए
लो आ गया मधुमास।
भुवन भास्कर बैठे रश्मि रथ
करने जगत प्रकाश,
नव कोंपल तरु में डोली
लो आ गया मधुमास।
कुहुक उठी कोयल,ले नव स्वर
खग चहक उठे तरु पर,
आनंद भरे प्रति स्वांस
लो आ गया मधुमास।
वन वन मयूर करे किलोल
मन वावरा इत उत डोल,
कुसुमाकर डोले कुसुम के पास
लो आ गया मधुमास।