STORYMIRROR

बबिता प्रजापति

Others

4  

बबिता प्रजापति

Others

सावन आया रे

सावन आया रे

1 min
312

मन मयूरा नाच रहा

देख घटा घनघोर

कोयल पपीहा तृप्त हुए

नाच उठे मोर।

गहन अंधेरा घिर गया

कीट पतंगे करते शोर

जुगनू फिर टिमटिमा उठे

जैसे नवल हुई हो भोर।।


बालक वृन्द तैरा रहे

देखो, जल में नाव

वर्षा में है भीगते

कहाँ ठहरते पाँव।।।


सजनी प्रेम में मग्न हो 

देख रही है राह

वर्षा की ये बूँदें

और बढ़ाती चाह।।।


हाथ में हरी चूड़ियां

सजनी का करें श्रृंगार

सावन में मनभावन मिलें

प्रेमानन्द का हो संचार।।।



Rate this content
Log in