जिसने मुझे सरे राह में छोड़ा
जिसने मुझे सरे राह में छोड़ा
जिसने मुझे सरे राह में छोड़ा, जिसने मुझे गुमराह किया।
राह भटक कर कदम कदम पर, उसको दिल ने याद किया।
मेरे कदम और उसकी आंखें मिलकर मंजिल पाना था।
ले गया आंखें वो हरजाई फिर मुझको तो खोना था।
आबाद रहे वो शख्स हमेशा जिसने मुझे बर्बाद किया।
राह भटक कर कदम कदम पर, उसको दिल ने याद किया।
वादा किया जिसने मंजिल का, वो आधे रस्ते छोड़ गया।
वादा खिलाफी के पत्थर से मेरे शीशा दिल को तोड़ गया।
शाद रहे वो पत्थर दिल हर पल जिसने मुझे नाशाद किया।
राह भटक कर कदम कदम पर, उसको दिल ने याद किया।
जब जब ठोकर लगती है तब तब जख्मों को सीता हूँ।
जहर जुदाई के संग संग अपने अश्कों को पीता हूँ।
जिसने मुझे कोसा है हमेशा उसके लिए फरियाद किया।
राह भटक कर कदम कदम पर, उसको दिल ने याद किया।