जिस्म पर रुह
जिस्म पर रुह
सांसों की आवाज़ एक दूजे को सुनाई जाती है,
होटों पर अक्सर ही ख़ामोशी दिखाई जाती है,
एक चेहरे पर एक चेहरा कुछ इस कदर चढ़ता है,
के जिस्म पर जैसे किसी कोई रूह चढ़ाई जाती है,
किसमे कौन कहाँ कैसे समाया पता नहीं चलता है,
जख्मों पर जब मोहब्बत की दबाई लगाई जाती है।
