STORYMIRROR

राही अंजाना

Drama

3  

राही अंजाना

Drama

जिस्म पर रुह

जिस्म पर रुह

1 min
261

सांसों की आवाज़ एक दूजे को सुनाई जाती है,

होटों पर अक्सर ही ख़ामोशी दिखाई जाती है,


एक चेहरे पर एक चेहरा कुछ इस कदर चढ़ता है, 

के जिस्म पर जैसे किसी कोई रूह चढ़ाई जाती है,


किसमे कौन कहाँ कैसे समाया पता नहीं चलता है, 

जख्मों पर जब मोहब्बत की दबाई लगाई जाती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama