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Juhi Grover

Tragedy

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Juhi Grover

Tragedy

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है

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बर्बाद कर दिया खुद को काफ़िर बनकर,

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?

शाम के बाद रात तो होनी ही थी,

इसमें अब शुबह क्या है?


कोई भी राह हमें छू नही सकती थी,

कोई भी सहारा हमें उठा न सकता था,

क्या करें,किधर जाएँ,होश गँवा बैठे थे,

होंठो पर बात ला नहीं सकते थे,

ये हमारा शाम-ए-ब्यां है,

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?


ज़िन्दगी का आईना बेईमान हो गया था,

जाने कब से किसी का कद्रदान हो गया था,

ये कद्र खुद की कद्र को कम कर गई थी,

एक छोटे से घरौंदे को कुचल कर गई थी,

अब ज़िन्दगी भी हमारी फ़ना है,

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?


इन बर्बादियाें की आदत सी पड़ गई थी,

हर तरफ़ बर्बाद मंज़र नज़र आते थे,

तमाशाई की तरह लोग नज़ारा करते थे,

खुद की ज़िन्दगी के गुनाहग़ार थे हम,

अब क्या बताएं, किसे सुनाएँ,

ज़िन्दगी की गज़ल क्या है?

ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?


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