जिंदगी इतना एहसान कर दे
जिंदगी इतना एहसान कर दे
ना रहे कोई गिला शिकवा और ना हो कोई शिकायत,
जिंदगी बस तू मुझ पर इतना सा एहसान आज कर दे।
थक चुका हूं इस बोझ को अकेले ख़ुद पर लेकर मैं,
हो किसी का सहारा जो यह बोझ थोड़ा हलका कर दे।
कब तक यूं ही आवारों सा भटकता रहूंगा मैं दर बदर,
मिल जाए मुझे उनका इक आसरा कुछ ऐसा कर दे।
तड़प रहा हूं मिलने को जो आया है बस इक मेरे लिए,
मिल जाए उनका ही साथ जिंदगी अब कुछ ऐसा कर दे।
ठहर जाऊँ मैं किसी एक राह पर और हो पूरी हर मुराद,
हो हर इबादत आज पूरी ऐसा करम ख़ुदा तू मेरा कर दे।
पूरे करूँ उनके हर ख़्वाब को और रहें साथ हमारा यूं ही,
जिंदगी बस तू मुझ पर इतना सा एहसान आज कर दे।