STORYMIRROR

Bhavesh Parmar

Abstract Romance

4  

Bhavesh Parmar

Abstract Romance

मुझे याद़ है

मुझे याद़ है

1 min
301

रातें जो कभी कटी थी तेरे साथ वो मुझे याद़ है,

आँसू जो कभी गिरा तेरे अश्कों से वो मुझे याद़ है।

बातें जो कभी ना हुईं ख़त्म तुझसे वो मुझे याद़ है,

कहना था बहुत पर कह ना पाएं तुमसे वो मुझे याद़ है।


लम्हें जो कभी बिताएं थे साथ तेरे वो मुझे याद़ है,

तेरी कही हुईं हर बात गूंजती है मेरे में वो मुझे याद़ है।

शायद़ तुम भूल जाओ कभी ऐसा ना हो वो मुझे याद़ है,

गुस्सा जो कभी किया तुझ पर उसका ईल्म़ वो मुझे याद़ है।


कहाँ जाकर मैं छूटकारा इस दर्द से तुम ही बता देते,

ना जानें क्यों रूठ़ गएं अब तुम मुझसे वो मुझे याद़ है।

आख़िर क्या हुआ तेरे मेरे दरम्यांन वो मुझे मालूम नहीं,

पर इश्क़ मेरा तुम ही थे, हो और रहोगे वो मुझे याद़ है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract