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जीवन की यात्रा

जीवन की यात्रा

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जीवन एक लंबी यात्रा है प्यारे

इसमें पड़ाव भी हैं बहुत सारे।

स्वयं को छोड़कर,


भूल अपनी महत्वाकांक्षा

और कर ले ये पड़ाव भी पार

क्योंकि यही है

श्री कृष्ण की गीता का सार।


समर्पित कर दे अपना जीवन

राष्ट्र के विकास और

विकास और सुरक्षा में

क्योंकि यही है तेरा कर्तव्य

तेरे इस जीवन में।


जीत और हार दोनों मिलेंगी

जिंदगी के इस रण में

स्वयं पर भरोसा रख

विजय प्राप्त कर ले

तू इस कर्मभूमि में।


न निराश हो,

न घमंड कर बस

सत्य की राह पर चलता चल

आएगी कामयाबी तेरे पास,

निकलेगा हर समस्या का हल।


माता-पिता को अपना प्रेरणास्रोत बना

कोई नहीं करेगा तेरे लिए कुछ भी

इसलिए उन्हें अपना गुरु बना।


स्वयं पर धैर्य रख,

और सदैव मीठा बोल

नहीं है दुनिया में

इससे ज़्यादा कुछ अनमोल।


सदैव देश से कर प्रेम,

तिरंगे का कर तू सम्मान

राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं,

चाहे वो हो तेरी आन-बान-शान।


जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित कर

स्वयं नहीं समाज के लिए

सोचना शुरू कर।


इसलिए अब है तेरी बारी

अपना जीवन ऐसे जी

कि गर्व करे दुनिया सारी।।


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