जीवन की डोर।
जीवन की डोर।
होगा वही जो राम रचि राखा, कर्मानुसार बनता है लेखा।
भाग्य के भरोसे जो मानव रहते, दुःख दर्द में भी कुछ नहीं हैं कहते।।
मत ठुकराना संतों की वाणी, जो है सदा सबकी कल्याणी।
मुश्किलों के बादल उनके छट जाते, जो वेद वाणी की महिमा गाते।।
अपनी करनी पर तू दे ध्यान, गुरु पथ को तू अपना मान।
राहों के कांटे भी फूल बन जाते, गुरु चिंतन को जो कवच बनाते।।
धन-दौलत का क्या ठिकाना, जीने का है एक मात्र बहाना।
गुरु की दौलत जिसको है मिलती, सांसारिक दौलत चरणों में झुकती।।
राजा, रंक तो अभिनय है जीवन का, मात्र एक भ्रम है मन का।
गुरु दरबार में सब एक हैं कहलाते, गुरु तो सभी को एक पाठ पढ़ाते।।
गलती माफ सभी की करते, मलिन हृदय में प्रकाश हैं भरते।
जो नित उनके दर पर हैं जाते, रूहानी दौलत वो ही पाते।।
काठ की घोड़ी पर सबको है जाना, असली ध्येय गुरु को है पाना।
"नीरज" मत भटक असली मकसद से, "जीवन की डोर" जोड़ दे गुरु से।।