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Jyoti Naresh Bhavnani

Classics

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Jyoti Naresh Bhavnani

Classics

जीने का सहारा

जीने का सहारा

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परिवार जीने का एक बड़ा सहारा होता है,

इस के बगैर गुज़ारा बिलकुल नहीं होता है।

वो इंसान किस्मत वाला होता है बेहद ही,

जिसका परिवार उसके संग हमेशा रहता है।


इंसान का परिवार अगर संयुक्त परिवार हो तो,

बड़ों का तजुर्बा हमेशा ही काम आता है,

बच्चों को मिलता है प्यार बहुत सारा ही,

बड़ों का समय भी आसानी से कट जाता है।


परिवार में हरकोई मिलझुलकर हमेशा रहता है,

अपने अपने फर्ज़ खुशी खुशी पूरे करता है,

ज़िंदगी की खुशियां बांटता है साथ साथ में ही,

और ग़म में भी हमेशा ही साथ निभाता है।


चाहे कितना भी आपस में झगड़ा होता है,

चाहे कितना भी मतभेद विचारों का रहता है,

पर बाहरवालों और दुश्मनों के आगे हमेशा ही,

परिवार एकता के धागे में बंध सा जाता है।


वो इंसान दुनिया में बेहद ही बदनसीब होता है,

जिसका खुद का कोई परिवार नहीं होता है,

चाहे दौलत पास में हो उसके कितनी भी,

बिन परिवार के जीवन उसका अधूरा ही होता है।


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