झुकी सी नजर
झुकी सी नजर
आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है !
नफ़रत की दिल पे आज लगी ताली है
दी रोटी सब्जी आज किसी ने भी न मुझे
यार रही अपनी तो खाली थाली है
जीवन में इतने जुल्म अपनों के झेले
आँखें में रोज़ उदासी की लाली है
चाँद छिपा है वो उल्फ़त का यार कहीं
नफ़रत की आयी वो रातें काली है
वरना पानी में भीगेंगे हम दोनों
चल घर जल्दी बारिश आने वाली है
देखा उल्फ़त की नजरों से सबको ही
दिल में न कभी अपने नफ़रत पाली है
सब्जी बेचकर करता हूँ मैं गुजारा
नोट गया दें कोई वो भी जाली है
रब दें खुशियाँ अहसास नहीं हो ग़म का
जीवन खुशियों से "आज़म "का खाली है
आज़म नैय्यर