STORYMIRROR

sargam Bhatt

Drama Action Thriller

4  

sargam Bhatt

Drama Action Thriller

जबरदस्ती

जबरदस्ती

1 min
294

मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचाता रहा,

मुझे गिरा कर खुद को आगे बढ़ाता रहा।


गिर गया वह खुद भी एक दिन,

नींदों में भी वह सपने सजाता रहा।


ख्वाब मुकम्मल हुए ना कभी उसके,

वो खुद से उम्मीदें जो बढ़ाता रहा।


सफल होना हर किसी के बस में नहीं,

मेरी सफलता को भी वो चुराता रहा।


मुझे अपना बनाया था खुद की जरूरत के लिए,

मैं उसकी हूं ये बार-बार मुझको जताता रहा।


अपने गुस्से को मुझ पर यूं ही उतार कर,

दिन-रात मुझे वह सताता रहा।


आ गई समझ जब मैंने बना ली उससे दूरी,

करता हूं सच्चा प्यार यही वो बकबकाता रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama