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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance Tragedy Others

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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance Tragedy Others

जब से तुम नाराज हुए प्रद्युम्न अरोठिया

जब से तुम नाराज हुए प्रद्युम्न अरोठिया

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कुछ बेरंग सी है जिंदगी

जब से तुम नाराज हुए।

कई ख्वाब थे जीने के

धूमिल से जज्बात हुए।।

बैठे किसी कोने में

बंद खूबसूरत बाजार हुए।

जीने के घर बने मयखाने

टूटे जाम नसीब हुए।।

चलते रहे गिरते रहे

पत्थरों के घर आबाद हुए।

जिंदगी के किस्से

अधूरे प्यार के नाम हुए।।

जो बने थे हमसफर

उनके रास्ते अलग हुए।

मिट्टी के घर

बरसात में मिट्टी हुए।।

नसीब के लिखे लेख

हथेलियों की रेखाओं से अमिट हुए।

जीवन की बुनियाद प्यार

और प्यार से ही महरूम हुए।।


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