जानेमन को पुकार
जानेमन को पुकार
अकेला हूँ फिर भी धूम रहा हूँ मैं,
तेरी यादों के साथ लहरा रहा हूंँ मैं,
कभी न कभी मिलेंगे ओ मेरी जानेमन,
तेरा प्यार से इस्तकबाल करूंगा मैं।
नहीं भूल सकता तेरा मधुर मिलन मैं,
आज भी तस्वीर बसी है मेरे दिल में,
अब न तरसाओ मुझे ओ मेरी जानेमन,
तुझे मेरी बांहों में सिमटा कर रहूंगा मैं।
रात भर तुझे ख्वाबों में देखता हूंँ मैं,
सितारों की महफिल जमाता हूंँ मैं,
क्यूँ तड़पाती हो मुझे ओ मेरी जानेमन,
तेरे आने से महफिल में रंगत लाऊंगा मैं।
चांद में तेरा चेहरा देख रहा हूंँ मैं,
इंतजार कर के मायूस बन गया हूंँ मैं,
दिल की पुकार है ओ मेरी जानेमन,
"मुरली" तेरे बगैर अधूरा हुआ हूँ मैं।

