जाने क्यों!
जाने क्यों!
एक प्रश्न का मेरे अंदर
उमड़ रहा तूफान है
जाने क्यों अंदर ही अंदर
कैद पड़ा इंसान है ,
जाने क्यों वो क़ैद पड़ा है
चरमपंथ की जेल में
जाने क्यों वो क़ैद पड़ा है
अलगाव के खेल में ,
ख़ुद को भिन्नित करने का हम देख चुके परिणाम हैं
एक प्रश्न का मेरे अंदर उमड़ रहा तूफान है ।।
जाने क्यों हम वामपंथ
और दक्षिणपंथ में अटके हैं
हमें एक करने में सैनानी
फाँसी पर लटके हैं,
जाने क्यों हम शहादतों को
शर्मसार कर देते हैं
जाने क्य
ों लक्ष्मण रेखा को
आर - पार कर देते हैं,
हमको एक बनाने में कई बने यहाँ श्मशान है
एक प्रश्न का का मेरे अंदर उमड़ रहा तूफान है।।
जाने क्यों यहाँ धर्मवादिता
रूड़ीवादिता फैली है
जातिवाद के तत्वों वाली
सोच यहाँ पर मैली है ,
जाने क्यों यहाँ मन भेदों का
भाव अभी तक जिंदा है
गैरों की बातें हुईं कहाँ
'ये' अपनों से शर्मिंदा है ,
ये सोच कहाँ से आई है ना इसका मुझको भान है
एक प्रश्न का मेरे अंदर उमड़ रहा तूफान है ।।