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जाने कितने चले गये

जाने कितने चले गये

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जाने कितने चले गये मेरी ज़िंदगी में आकर,

सुकूँ मिला तो बस तेरी इन बाहों में आकर।


देखा मैंने तेरी हसीन दुनिया भुलाकर,

हर बार याद आये तुम मेरी दुनिया में आकर।


बिलख रहे थे जो तेरे आगोश में लिपटकर,

चुप करा दिया तूने झूठी दिलासा दिलाकर।


वीरान था जो पहले उसे वीरान ही रहने देते,

चले क्यूँ गए तुम मेरी ये दुनिया सजाकर।


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