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Usha Gupta

Tragedy

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Usha Gupta

Tragedy

जादू

जादू

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पहली नज़र में ही चढ़ गया नशा जादू का उसकी,

उतर गया वह आँखों से ह्रदय में,

ख़्यालों में रहती खोई हर पल मैं उसके, 

आँखें करती प्रतीक्षा उस जादूगर की,


ह्रदय में उठती टीस मिलन की,

काश मिल जाता ज़रा-सा स्पर्श जादूगर का।

मिला वह और हाथ पकड़ फिर से कर गया जादू,

सिरहन सी दौड़ गई तन बदन में,


और भी व्याकुल हो उठा मन मिलन को,

कुछ प्रतीक्षा के बाद आख़िर हो ही गया मिलन,

चलता रहा जादू उसका।

देखा एक दिन चलाते जादू उसे किसी और पर,

उतर गया नशा जादू का और रह गई मैं अकेली बिलखती।


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