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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Tragedy

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Tragedy

इश्क की तलब

इश्क की तलब

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तलब लगी है मुज़को तेरे ईश्क की,

बैचेनी बढ रही हे तबसे मेरे मन की,

लौटके आजा मेरे पास ओ जानेमन,

तेरे बिना ये दुनिया नहीं है मेरे काम की।


रात आई है आज शितल पूनम की,

सुहाने समामें घटा खीली है सावन की,

ईन्तजार हरपल है तेरा ओ जानेमन,

तेरे बिना ये दुनिया नहीं है मेरे काम की।


तुजे मानता हूं मेरी मल्लिका ख्वाबों की,

महेफ़िल सजाई है मैने दिल से इश्क की,

आ कर समाजा मेरे दिलमे ओ जानेमन,

तेरे बिना ये दुनिया नहीं है मेरे काम की।


तड़पता हूं रात दिन, ख्वाइश है मिलन की,

तरसता हूं मै हरपल मिटादे प्यास इश्क की,

"मुरली" तूं है एक मेरा सहारा ओ जानेमन,

तेरे बिना ये दुनिया नहीं है मेरे काम की।


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