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Ambila dharma

Romance

4  

Ambila dharma

Romance

बहकी रातें

बहकी रातें

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सिमटी हुई रातें 

थमी हुईं साँसें 

क़माल कर गई 

तेरी बहकी हुई आँखें।


एहसास हुई मुझे तेरी 

दूर जाती हुई आहटें 

रोकू कैसे तेरे बढे हुए कदम 

जाने दे उन बातों को 

रूठा न कर उन बीती हुई बातों पे।


आ पास बैठ मेरे 

करनी है दुनिया भर की बातें 

वो एहसास का दरिया जिसने 

मुझे तुमसे मिलाया 

शूक्र है उस रब का 

जिसने तुझे बनाया।


बन बैठी हूँ तेरी दासी 

बोल मैं कैसे दूर करू 

खुद को तुझसे 

जब दिल की गहराईयों में 

छुपी हो वो कसमें वो वादें।


तेरी होठों की ख़ामोशी 

कुछ तो कह गयी मुझसे 

कानों ने सुना तोह नहीं 

लेकिन तेरी ये ख़ामोशी 

दिल को रास आ गयी 

तुम्हारे चेहरे की ये मुस्कान 

कमाल कर गयी।


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