गले लगा कर कहो
गले लगा कर कहो
मुझे गले लगा के कहो कि सच मे तुझे सुकून आया है
तुम्हीं बताओ क्या मैंने सलीके से मोहब्बत मिलाया है
अल्हड़ हूँ तो खामियाँ भी रहनी लाज़मी है पर बताओ
क्या सही तौर तरीके से इश्क़ के रस्मों को निभाया है
इश्क़ के गणित में एक और एक जोड़ के एक कर दिया
आ कर देखो मैंने इश्क़ को मुकम्मल कर के दिखाया है
कोई बहुत बड़ा जानकर तो नहीं पर इक़ बात कहूँ मैं
अपने ज़ेहन के जज़्बातों को क्या अच्छे से जताया है
रिश्ता जो हमदोनों के रूह से जुड़ा है, अब छूटेगा कैसे
तुम कैसे नहीं आओगी क्योंकि दिल से जो बुलाया है
मुद्दतों का प्यासा हूँ और मेरे सफर में है बहुत भटका हूँ
अब सिर्फ इतना बता दो क्या तूने भी मुझे अपनाया है।